Hindi Quote in Poem by Manoj kumar shukla

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गणतंत्री दोहे....

जब आता गणतंत्र है, मन में उठे तरंग ।
तन मन हर्षित झूमता, ले हाथों में चंग ।।
भारतीय गणतंत्र का, गौरवमय यह साल।
खुशियों की सौगात से,करता मालामाल।।
संविधान ही ग्रंथ वह, पावन सुखद पुनीत।
अधिकारों कर्तव्य का,अनुबंधित यह मीत।।
आजादी के शब्द का, पहले समझें अर्थ।
कर्तव्यों का बोध हो, भटकें कभी न व्यर्थ।।
हाथ तिरंगा ले चले, राष्ट्र भक्त चहुँ ओर।
गणतंत्री त्यौहार में, करता हमें विभोर।।
राष्ट्रगान हर देश का, गरिमा-शाली मंत्र।
आराधक सब नागरिक, राष्ट्र समर्पण तंत्र।।
सदियों से भारत रहा, ऋषियों का यह देश।
मन में बसी सहिष्णुता, कभी न बदला वेश।।
भारत ऐसा देश यह ,जग में छवि है नेक ।
विविध लोग रहते यहाँ, भाषा धर्म अनेक ।।
भारत के गणतंत्र का, करता जग यशगान ।
जनता के हित साधकर, सबका रखता मान।।
धरती माँ के तुल्य यह, सबकी पालनहार ।
वंदन अभिनंदन करें, हाथ उठा जयकार।।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "

Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111781395
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