नहीं पता मैं कौन हूँ?,
बरबस साधे इक मौन हूँ।
न धार-निराधार हूँ,
हुआ हीन आकार हूँ।.....नहीं पता..
विविधता का अम्बार हूँ,
या डूबता मझदार हूँ।
क्या? काव्य सूत्रधार हूँ,
भगवद्गीता का सार हूँ।.....नहीं पता..
फैला हुआ अंधकार हूँ,
या हुआ अमिट विकार हूँ।
सहता हरक्षण दुत्कार हूँ,
मनभावना की पुकार हूँ।.....नहीं पता..
#प्रश्न_ये_खुद_से
#मैंकौनहूँ
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#योरकोटजिंदगी
#सनातनी_जितेंद्र मन