मकर संक्रांति का पर्व है आया,
उत्तरायण में सूर्य ने कदम बढ़ाया।
जल्दी उठकर स्नान करना है,
सूर्य भगवान के भी दर्शन करना है।
तिल, हल्दी,कुमकुम जल में डालों,
भास्कर को अर्घ दे डालों।
सुबह सबेरे खिचड़ी और लड्डू बनाकर,
भगवान जी को भोग लगाना है।
तिल के लड्डू और खिचड़ी का,
दान पुण्य तो सबको ही कराना है।
दान करने के बाद ही सबको,
खिचड़ी और तिल प्रसाद में खाना है।
बड़े-बुजुर्गों के पैरों को छूकर तो,
आशीर्वाद उनका हमें पाना है।
शाम को छत पर जाकर सबको,
रंग-बिरंगी पतंग उड़ाना है।
एक-दूसरे की पतंग को काटकर,
इस अवसर का लुफ्त उठाना है।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री