चाँद भी अब छुपने लगा है,
तारें भी ओझल हो रहे।
सूर्य देवता निकलने को तो,
कब से आप व्याकुल हो रहे।
आपकी पहली किरण को तो,
जल हमको अर्पण करना है।
दोनों हाथ जोड़कर हमको,
आपका तो अभिनन्दन करना है।
पहली किरण की रोशनी से तो,
मन का क्रोध तो शांत होगा।
रहेगा सदा आशीर्वाद आपका तो,
विकृतियों का भी विनाश होगा।
सुप्रभातं
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री