उस नन्हे बच्चे को क्या हैं सुख"
नंगे पैरों दौड़े सड़क पर
बिलख बिलख कर आंखे रोए
कहते भूख ... भूख........!
ना चारदीवारी है उनपे
ना छत की कोई ढाल
गर्मी सर्दी सब सतावे
कहते भूख... भूख.....!
चरपाई तक की उम्मीद नहीं
जमीनों पर लेटता नन्हा फूल!
ओंस की ठंडी चादर ओढे
ना तन पर कोइ कपङा ढोऐ
ना ही कोई बाटने को
आबे इनका दुख.....!
अगर दिन को पाबे निबाले
फिर रात को यु सो जाए
जैसे तैसे दिन गुजारे
एक निवाले तक ए तरसे जाऐ
फिर कया जाने ऐ -सुख ......?
हर बार भुख, गरीबी , पर
नेता भाषण देता झुठ.....
ओठ से कुछ कह ना पावे
पर आखे कहती - भूख ... भूख....!!
-maya