शीर्षक:एक हजारों में मेरी बहना है
मेरी बहना लाखों में एक है,
नहीं किसी का कभी दिल दुखाती।
छोटा हो या बड़ा कोई भी,
सभी पर अपना स्नेह वो लुटाती।
कभी माँ बनकर वो डाँटती है,
कभी बड़ी बहन बन वो अधिकार दिखाती।
मेरी छोटी-छोटी गलतियों पर,
सुधार के लिए वो राह दिखाती।
कभी छोटी बहन बनकर वो तो,
जिद पर कई -कई बार अड़ जाती।
कभी दोस्त बनकर बहना तो,
हमारे दिल की राजदार बन जाती।
उनकी इसी अदा पर तो,
दिल उन्हें बार-बार नमन है करता।
उनका हाथ रहे सदैव सिर पर,
यही ईश्वर से सदा माँगा करता।
कितना गम भी हो उनके जीवन में,
नहीं चेहरे पर दिखाई कभी पड़ता।
हँसती रहती हरदम हमेशा ही,
यही गुण तो उनका सब पर भारी पड़ता।
हँसते रहो और हँसाते रहो,
यही तो उनके जीवन का फंडा है।
जीवन सुख-दुःख से ओत-प्रोत है,
इस लिए खुश रहो, ये कहता एक बन्दा है।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्यप्रदेश
-किरन झा मिश्री