मैं आज हूं मगर..
तेरी दुआ में कल हूं !
मैं सीधा हूं मगर...
तेरी सामने ठीठ हूं !
मैं सांस हूं मगर...
तेरी धड़कन में रोग हूं !
मैं घाव हूं मगर...
तेरी सोच में दवा हूं !
मैं एहसास हूं मगर...
तेरी नज़र में दर्द हूं !
मैं खुश हूं मगर...
तेरी यादों में गुमशुम हूं !
मैं मस्त हूं मगर...
तेरी बातों में त्रस्त हूं !
मैं पस्त हूं मगर...
तेरी चाहत में अस्त हूं !
मैं ख़ास हूं मगर...
तेरी रंजिशो में आम हूं !
मैं पास हूं मगर...
तेरी उलझनों में दूर हूं !
© शेखर खराड़ी
तिथि- २७/१२/२०२१