फिलहाल 3 -
एक अफवाह ही उड़ा दो, कि अब भी इश्क करती हो.!
ख़ामख़ाह ही सही, पर अब भी मुझ पे मरती हो.!
बेमुरब्बत सी मोहब्बत की थी कभी, अब बेपरवाह सी बनती हो..!
अरसा हो गया रूबरू बैठे, पर खबर अभी भी मेरी रखती हो..!
जरा संभल के नजरें मिलना इस बार हमसे, सुना है आंखे भी बोल देती ही,.!
हां तुम छुपा लो जहां से हकीकत, पर ये जो तुम्हारी हरकतें है ना, ये सब राज खोल देती है..!
नादां सी शक्ल लिए फिरती हो, पर सब समझती हो.!
चलो एक अफवाह ही उड़ा दो कि अब भी इश्क करती हो..!
✒️ To be continued..
-srishti tiwari