उदासी की इस गहराई में मैं कहीं खो जाना चाहती हूं ।
बाहर चल रहा है बहुत ही शोर जिससे मैं दूर हो जाना चाहती हूं
नहीं चाहिए मुझे किसी का मशहावरा,
मैं अपने ढंग से जीना चाहती हूं । Bindu Anurag
खूब कर ली सबने अपनी मनमानी ।
मैं अब अपनी मनमर्जिया करना चाहती हूं ।
हां हूं मैं सबसे अलग सबसे जुदा,
पर फिर भी दिल की मैं नैक और सच्ची हूं ।
बस इसी बात पर मैं अडग रहना चाहती हूं ।
पता नहीं यह मुझे जिंदगी का कैसा है मंजर,
फिर भी सही मंजिल तक मैं पहुंचना चाहती हूं ।
03:06 AM 23/12/21
-Bindu _Anurag