शीर्षक : मुस्कराहट की बारात
दुल्हन सी सजी जिंदगी को खुशियों की बारात चाहिये
जरा मुस्करालो, जिंदगी को भी एक सुहागरात चाहिये
जीवन पथ पर धूप-छाँव दोनों से गुजरना पड़ता है
एक मुस्कराता सा चेहरा, छतरी का काम करता है
कौन अपना कौन पराया सोच से दिल घबराता है
मुस्करा लेते तो पराया भी, अपनापन दे जाता है
संयमी हो तो हर मुस्कराहट नाजायज नहीं लगती है
स्वार्थ के चेहरे पर, हर मुस्कराहट अजनबी दिखती है
कल किसी ने न देखा, आज भी पूर्ण हमारा नहीं है
पल की मुस्कराहट में, छिपी उम्र भी कोई कम नहीं है
गरुर के दुश्मन से निजात पाकर, जरा मुस्करा लेते है मुस्कराकर , जिंदगी की बारात में शामिल हो जाते है
✍️कमल भंसाली