लिखने बैठी तो आँखो में यादे और
मुँह पे हसीन सुर्खियां आने लगी
लम्हे जो हमनें गुजारे वो याद आये
चंचल सा मन जैसे बन गया तितली
पहुँच गया भीतर जहां जीती हुं में
मिशरी जैसे मीठे खजानों के साथ
दिल के सानिध्य में बहेती है स्मृतियां
बहेलती है कभी कभी अपनी तन्हाई को
-Shree...Ripal Vyas