Hindi Quote in Poem by prema

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

दरमियान
वो बैचनी और घबराहट में
व्हाट्सएप की चैटिंग,
कभी कभार
वॉइस कॉल की आवाज़
बन जाया करती थी।
तन्हाई में
बन्द कमरे की अतिथि,
गुप अंधेरे में पैरों
की पद चाप मिटाती थकान,
अवसाद में सुनाई गई उसकी
कोई कहानी की गवाह या श्रोता
बनकर बिस्तर पर लिपट सो जाना
उसकी आदतों में एक था।
पानी की आधी बोतल, चाय का झूठा कप,
बिगड़ा सा बिस्तर,थके पैरों की राहत,
धीमी सी आवाज़ से कान में गूँजती
उसकी कोई फरमाइश
पर जी-हज़ूरी बन जाना , जिससे अभी कोई मुकम्बल
रिश्ता क़ायम नही हो पाया था उसका।
वो डरी डरी रहती थी कुछ बोलने को
और वो डरा डरा रहता था कुछ ऐसा न सुनने को।
दोनो इस बात को समझने लगे थे।
इसलिए अब वो ऐसे ही जीने लगे थे।

-prema

Hindi Poem by prema : 111769289
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now