चौपाई
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हे केशव गिरधर, तुम आओ।
आ कर हमको, कंठ लगा ओ।।
तुम बिन सुनी, गोकुल गालियां।
कहाँ बसे हो, तुम ओ छलिया।।
तुम बिन हमे, चैन ना आये।
हरदम तेरी , याद सताये ।।
दर्शन दे दो , गिरधर लाला।
सुन लो विनती , ओ गोपाला।।
हरि दर्शन की, लगन लगी है।
हाथ जोड़ कर, दासी खड़ी हैं।।
मेरे केशव अब, तुम आओ ।
विनती मेरी तुम , स्वीकारो।।
कहे उमा सुन लो गोपाला।
तुम ही हो जग के, रखवाला।।
मेरी विनती , तुम सुनलेना ।
चरणों की दासी, रख लेना।।
उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित