1 अपराधी
अपराधी नेता बनें, कहता थानेदार।
थाने में अपराध के, रहें सभी सरदार।।
2 झील
झील रही निर्मल सदा, मीठा पानी-स्त्रोत।
मानव ने गंदा किया, अब पीते हैं मौत।।
3 अलाव
गाँवों की चौपाल में, फिर से जला अलाव।
मिलकर सब बैठे हुए, दिखे नहीं अलगाव।
4 किलकार
बच्चों की किलकार ने, किये अनोखे काम।
तनी हुई भौंहे रहीं, सुना हँसी पैगाम।।
5 मेला
चंडी का मेला भरा, झूलों की भरमार।
चाट-चटौनी बिक रही, गले मिलें सब यार।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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