मैं और मेरे अह्सास
भर लो दिलों में उत्साह और उमंगें l
उठो बिस्तर से आ गई ठंड की सुबह ll
शबनम की बूंदे बरस रहीं हैं आसमान से l
निखरी हुईं प्रकृति का नज़ारा देख लो l
जागो नींद से आ गई ठंड की सुबह ll
हल्की हल्की ठंड से खिला है दिन l
मदभरी रुतु छलका रहीं हैं जाम l
निकलो बाहर आ गई ठंड की सुबह ll
दर्शिता