मैं और मेरे अह्सास
वादों से वो मुकर गया कोई गिला नहीं l
रास्तें से वो भटक गया कोई गिला नहीं ll
शाम ढले यार दोस्तों की महफिल मे l
जाम पी के छलक गया कोई गिला नहीं ll
दिल फेंक आशिकाना मिजाज रखता था l
दिल के हाथो मचल गया कोई गिला नहीं ll
कभी आया ही नहीं उम्रभर वादा निभाना l
बातों से वो फिसल गया कोई गिला नहीं ll
खुशगवारी ही रहीं साथ निभाने की लो l
ख्वाबों से निकल गया कोई गिला नहीं ll
दर्शिता