तुम्हारी खामोशी में बसे एहसासों को,
आखिर हम जान ही लेते हैं।
रूठकर भी,,, खुद को ,
तुम्हारे लिए मना ही लेते हैं।
तुम्हारी सांसों का हमें देखकर,
अटक जाना भाता है हमें।
तभी तो तुम से मिलने के बहाने,
बना ही लिया करते हैं।
सिर्फ तुम्हें चाहना ही,
चाहत है मेरी।
तुम्हारा भी अरमान है हम,
बस यही खुद को जता कर
इतरा लिया करते हैं।
-Sona