गुमसुम रहना ,फिर चाह रखना
कोई तुम्हे बिन कहे समझे;
अरे ! भला तुम्हे कोई क्यो समझे ?
चोरों के भाती अपना ही सुख क्यों चुराना ?
जड़वाद में रहकर आदर्श नहीं कहलाते !
मंदिर में जाकर क्यों ईश्वर को सतत दोष देना ?
मेरे जीवन में इतने दुख क्यों ?
अथवा मेरे दुख कम करदो ,यही मांगने में
अक्सर हम क्यों भुल जाते है ,
प्रभु जब है हृदय में फिर में क्यों अकेला ?!
- उर्मि