My Spiritual Poem...!!!
यूॅ तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से हमे
शिकायते बहोत थी
मगर दर्द जब दर्ज कराने पंहुचा
तो कतारे बहुत थी
जख्म अपनी आगोश में दर्द की
पर सिद्दत बहुत थी
कतरा कतरा लम्हा लम्हा कटती
जिंदगी बैचेन बहुत थी
आग हवा पानी मिट्टी-औ-नूर की
हस्ती बेखौफ बहुत थी
लोभ लालच क्रोध मोह माया हर
बंदे पर हावी बहुत थी
मिट्टी के ढाॅचे को देना था इम्तिहान
कारबाई सख्त बहुत थी
प्रभु तो प्रभु है लेता इम्तहान कठीन
पर देता सिला भी बहुत है
-Rooh The Spiritual Power