अहंकार का ठोस परत है मेरे अंदर
रावण हीं रावण हर जगह है मेरे अंदर
मैं भी जलना चाहता हूँ
कतरा कतरा पिघलना चाहता हूँ ।।
प्रेम दिप के तपन से रोम रोम
राम कृष्ण हीं हो जाना चाहता हूँ
हाँ मैं भी जलना चाहता हूँ
कतरा कतरा पिघलना चाहता हूँ ।।
-Anant Dhish Aman