कोई रात मेरे आश्ना
मुझे यूँ भी तो नसीब हो ,,
न ख्याल हो लिबास का
वह इतना मेरे क़रीब हो ,,
बदन की गरम आंच से
मेरी आरज़ू को आग दे ,,
मेरा जोश भी बहक उठे
मेरा हाल भी अजीब हो ,,
तेरे चाशनी-से वजूद का
मैं सारा रस निचोड़ लूँ ..
फिर तू ही मेरा मर्ज़ हो
फिर तू ही मेरा तबीब हो,,
-Rooh The Spiritual Power