ॐॐ जय माता लक्ष्मी....जय माता लक्ष्मी ॐॐ
शुभ संध्या वंदन बृहस्पतिवार वीरवार गुरुवार भगवान विष्णु आपको बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का संध्याकाल वंदन स्वीकार करें - ब्रह्मदत्त
ॐ श्री भगवान विष्णु.... ॐ नारायण नारायण हरि हरि......
॥ आरती श्री जगदीशजी ।।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहुँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म पुरमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
का नमस्कार है
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
हापुड़ एवं सभी भक्तों
मैं मूरख खुल कामी, कृपा करो भर्ता।
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।।
ॐ जय जगदीश हरें।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा।।
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे।
ॐ जय जगदीश हरे।
आरती के अंत में भगवान विष्णु आपको बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार।ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का
प्रस्तुतकर्ता
- ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़