जीवन में प्रेम के सुरों का आभास हुआ,
सहसा स्वयं पे विश्वास हुआ ।
संस्कार के सौंदर्य का यकायक विस्तार हुआ
पुष्प समान ! मुख पे, प्रभात की लालिमा का प्रवाह हुआ ।
वाचाल कंठ की ध्वनि को , मीठे साज़ो से मिलाप हुआ
लड़कपन को जीवन में पीछे छोड़ सादगी का सत्कार हुआ
पाजेब की बुंदिया पहन , जीवन में सोलह सिंगार से बंधन बना
हाँ! हथेली में कंगन डाल , घुंघट का सिर पे वास हुआ ।
वस्त्र आभूषण डाल दर्पण से अज्ञात सुंदरी से मेल मिलाप हुआ
ये चंचल पैरों को धीरे चलने का आभास हुआ
हाँ! जब से तुम मिले जीवन में अनेक परिवर्तनों से संगम बना
प्रेम की उर्जा से प्रिय हमारा सुखी संसार बना ।
Deepti