कीर्तन:- हौं इक नई बात सुनि आई ।
राग:- रामकली, मल्हार
हौं इक नई बात सुनि आई ।
महरि जसौदा ढोटा जायों, घर घर होति बधाई ।।
द्वारैं भीर गोप गोपिनी की, महिमा बरनि न जाई ।
अति आनंद होत गोकुल मैं, रतन भूमी सब छाई ।।
नाचत वृध्ध, तरुन, अरु बालक, गोरस कीच मचाई ।
सूरदास स्वामी सुख सागर, सुंदर स्याम कनहाई ।