*चैन से जीने के लिए,*
*चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं.*
*पर ,बेचैनी से जीने के लिए,*
*चार मोटर, दो बंगले,*
*और*
*तीन प्लॉट भी कम हैं.*
*आदमी सुनता है मन भर,*
*सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर,*
*और*
*खुद ग्रहण नही करता कण भर.*
🙏🏻 GOOD MORNING 🙏🏻
RajniKant Joshi