रूठना तो हम भी आती हैं
कैसे रूठु हर बार ,बताना नहीं आता
अपने कहने को बहुत ,पर कोइ जताना नहीं आता
सब कहते हैं अपने अपने होते है
हर कोई ना मना पाया हमजार
चाहत होती है मुस्कान बिखेर हूं किसी अपने पे
पर यह गलती कैसे कर दूं मेरे दिलजार
यहा तो अपने ही अपने की दर्द पर
मजे लेते हैं हर बार
अब लिखने लगी अपने दिल की पन्नों पर हर बात
शायद कोई समझे और पूछने आए मेरी कभी हाल
कुछ इस तरह अपनी बता दिया राज
अब कया ही कहु ,और कया पुछु सवाल
Maya