तुम सारे राह जो मेरा रास्ता रोकते हो
यूँ भरी बज़्म में मेरा पता पूछते हो।
क्या तुम निबाह कर सकोगे मेरे साथ
सोच के बताना तुम क्या सोचते हो।
तुम्हारी नज़र में मैं चांद का टुकड़ा हूँ
फिर मुझसे हट के क्या खोजते हो।
कहते हो कि मैं ऊडूँ परिंदे जैसा ।
फिर मेरे जज़्बात को क्यों टोकते हो।
-Arjun Allahabadi