जिंदगी तू एक मायूस सी...
अंधेरों के बीच भटकता हूं में,
जाने कब तू उजाला लेके लौटेगी!
गमों के समुंदर के बीच खड़ा,
जाने कब तू खुशियां लेके लौटेगी!
सर पर निराशा के बादल है छाए,
जाने कब तू आशाओं के किरने लेके लौटेगी!
कितनी उम्मीद सजा के रखी है तुझसे,
जाने कब तू उसमे रंग भरके लौटेगी!
-Nena Savaliya