पिता अर्थ है जो पीता है
जिम्मेदारियों के घट से भरा प्याला,बर्दाश्त का सागर है जो,पिता रुई की तकिया की तरह है,आप उसे कितना भी सुई चुभौ दो लेकिन अंततः वह आपको आराम के अलावा कुछ भी नही देगा,ऐसे विश्व के सभी पितृ का मैं वंदन करता हू जिन्होंने रूई की तकिया बनने में कोई कसर नही छोड़ी है।
-Anand Tripathi