मेरी हिन्दी
भारत में एक अबला नारी
किस्मत की मारी बेचारी
हिम्मत जिसने कभी न हारी
जी हाँ मेरी हिंदी प्यारी
सहती रहती है अपमान
फिर भी देखो इसकी शान
मनवाती है दिवस ये अपना
करवाती है अपना गुणगान
दो दिन गाए गीत सब इसके
भूलें फिर इसकी पहचान
अंग्रेजी की धुन में कर दी
अपनी मातृ भाषा बलिदान
आधुनिकता के खोल में लिपटी
यह एक ऐसी बन्दी है
इससे अपना काम बना लो
फिर कह दो यह हिन्दी है
मैं बस इतना कहना चाहूँ
अब इस पर कुछ ध्यान धरो
जब तक रहो हिंद में तब तक
हिंदी का कुछ मान करो ।।
©bhawnashastri
-Bhawna Shastri