प्रतीक्षा
प्रतीक्षा करवट बदल रही है
लग रहा है अंत, अन्तिमचरन में है
रास्ता बदल रही है रुख अपना,नए अंदाज में
आ रहा है समीरण
होगा नया सबेरा
विसर्जन है तो सर्जन भी होगा,नई सोच के साथ
नया नजरिया भी होगा
बदलाव पंसंद है हरएक को तो फिर, प्रकृति क्यो रह जाए पीछे !
आएगी नई तबलीगी
प्रकृति मां है तो समय पिता है
नवसर्जन सिखाती है प्रकृति तो
हिमत के साथ चलना सिखाता है समय
होगी जीत प्रतीक्षा की क्योकि साथ मे है धैर्य
होगा प्रज्वलित उजाला क्योकि साथ मे है विश्वास
रुखसत मिलेगी जरूर कोरोना जैसे नापाक इरादों को,क्योकि साथ मे है आप और हम जैसे संवेदना का पान करनेवाले महारथियों