ये पहली बार था जब मुझे मौका मिला ऑपरेशन थिएटर (OT) में जाने का। काफी खुशी थी वहां जाने की, पता था बहुत कुछ सीखने को मिलेगा , बहुत कुछ नया देखने को भी मिलेगा । इसी एक्साइटमेंट के साथ वो दिन आया जब मैंने OT में अपना पहला कदम रखा।
वहां का माहौल काफी अलग सा था , सब अपने - अपने काम में इतने गुल थे कि कौन आ रहा है, कौन जा रहा है किसी को मतलब ही नहीं था। कोई कहीं भाग रहा है तो कोई कुछ काम में लगा है। किसी से कुछ पूछो भी तो किसी के पास इतना समय ही नहीं था कि कोई कुछ बताए।
सबके चेहरे पर मास्क था तो सब एक जैसे से ही लग रहे थे ।
जितनी खुशी आने से पहले थी वो अंदर OT में आकर कम सी होती जा रही थी।
खड़ी - खड़ी सब समझने की कोशिश कर रही थी, पूरे ध्यान से सब बस observe कर रही थी , तभी थोड़ी देर बार एक सिस्टर मेरी तरफ आई और बोली आपका चार नंबर OT में इंतज़ार कर रहे हैं ,जल्दी से जाइए।
मैंने सिस्टर से धीरे से पूछा किस तरफ है चार नंबर OT !!
सिस्टर पहले मेरी तरफ देखने लगी फिर दाईं ओर इशारा करते हुए बोली वहां जाओ ।
मैं जल्दी से वहां पहुंची। वहा पर एक बच्चे का ऑपरेशन था पर उसके ऑपरेशन स पहले मुझे कुछ जांच करनी थी। क्योंकि बच्चे को anaesthesia दिया हुआ था तो समय कम था और जल्दी से उसके सारे टैस्ट करने थे।
मैंने जल्दी से सब खत्म किया और जैसे ही टैस्ट करके पीछे की और मुड़ी तो मेरा हाथ वहां रखी ट्रॉली पर लग गया ... ये वो ट्रॉली होती है जिसे सिर्फ जो ऑपरेशन कर रहा है वो और सिस्टर जो हेल्प करती है instrument देने में , वहीं छू सकते हैं। अगर कोई और उसे छू दे तो वो unsterile हो जाती है और उसे फिर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ।
जैसे ही मेरा वहा टच हुआ , सबकी निगाहें मुझ पर थी और मेरी निगाहें एक कोना ढूंढ रही थी जिससे मैं बाकी निगाहों से बच सकु।
खैर इससे पहले ज्यादा कोई कुछ कहता मैं वहा से सॉरी कह कर OT से बाहर आ गई ..