My Meaningful Poem..!!!
बेशर्मी कभी शर्मिन्दा नहीं होती,
शर्मिंदगी कभी बेशर्म नही होती
दरिंदगी कभी बा-पर्दा नहीं होती
बे-पर्दा कभी दीवानगी नहीं होतीं
इश्क़ में रुसवाइयाँ सरेआम होती
इश्क़में हसरतोंकी सीमा नहीं होती
आशिक़ीमें पाबंदियाँ ही नहीं होती
पाबंदियों की परवाह भी नहीं होती
गर्दिशों में भी कमज़ोरी नहीं होती
इश्क़की बीमारी सबको नहीं होती
इश्क़में जिस्मसे सरोकारी नहीं होती
पाकीज़गी में प्रभुजी से दूरी नहीं होती
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