मैं और मेरे अह्सास
मुहब्बत से मुहब्बत हो गई है l
क्रम उम्र में शरारत हो गई है ll
पत्थर से मुहब्बत हो गई है l
नादानी मे बगावत हो गई है ll
तुम्हें एकबार देखने की तड़प है l
आशिकी मे शराफत हो गई है ll
नादाँ दिल से सुबह और शाम l
बात करने की आदत हो गई है ll
इश्क ने ग़ालिब मुफ़लिसी मे l
प्यार की इबादत हो गई है ll
दूर जाने का नाम भी न लेना l
जुदाई से नफरत हो गई है ll
दर्शिता