My Mind-Relaxing Poem..!!
🌹मैं कैसै सर्द हाथों से
तुम्हारे गाल छूती थी ..💕
दिसम्बर में तुम्हें मेरी
शरारत याद आयेगी .💕
और तुम मख़मलों-से
अंदाज़ में लट फेरते थे .. 💕
में कुछ छुई-मुई-सी शरमा
कर तुमसे लिपट जाती थी.. 💕
बाँहों के घेरे में बड़े प्यार से
तुम भी मुझे जकड़ लेते थे .. 💕
फ़िर गर्म साँसों की अग्न में
हलके-से लबों से लबों का.. 💕
हाय...!!यह सुबहा क्यों बनी हैं
क्यों ना वह सर्द शब थम सकी💕
क्यों यह आफ़ताब की पहली
किरण मेरे ख़्वाबका खून कर चलीं 💕
आज फिर वही कातिल कोरोना वही
तनाव और वहीं लाशों की गिनती 💕
दिल के झरोखे-से एक याद चली
आई वह तो ना आए ख़्याल वही...💕
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