My Wonderful Poem..!!!
किसी को बाँध के रखना
फ़ितरत नहीं है हमारी
हम मोहब्बत का धागा हैं
मजबूरी की ज़ंजीर नहीं
अल्फ़ाज़ो को तोड़ मरोड़
धागों में फिरौना आदत है
क़लम से बेवजह”रुँहो”को
छूने की पुर-खुलूस चाहत है
पेन्डेमिक दौरमें ख़ौफ़-ओ-ड़र
को मात देने की नेक नियत हैं
जिस्म से कमजोर तो जी लेते
पर मन से कमजोर मौत छूते हैं
यारों अपने क़लाम से कमजोर
दिल जवाँ करने की कोशिश है
मौत तो बर-हक़ बशर को आनी
है पर बे-मौत मौत से बचाने की..
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