My Wonderful Poem...!!!
यारों बड़ा शौक था लोगों को
अपनो से ही दुरियाँ बनाने का
आज 🧭 वक्त ने ऐसी दर्दनाक
ज़हरीली-ओ-कातिल हवा चलाई
कि अब हर कोई तड़प रहा है
साथ पाने को अपने-से अपनों का
इन्सानीं नस्लों ने बहुत से देखें है
क़ुदरत की मसलेहत के ज़लज़ले
पर कभी किसी ने देखें न सुनें
कम्बख़्त कोरोनावायरस के जलवे
न जाने कब कहाँ कैसे रुकेंगे
ख़ौफ़नाक वारदातों के सिलसिले
साँसों की माला 📿 के हादसे
एसे कभी न टूटें है इन्सानी हौसले
ग़ज़ब ढाई सूक्ष्म जीवों की टोली
आज हर दूसरे घर है मौतकी होली
प्रभुजी आप के इन्तज़ाम में नहीं
हमें कोई शक-ओ-सूबा पर टटोलें
लिए हम अपनीं हर हरकतों-करनीं
बाज़ आ गए हैं अब तो कर दो माफ़
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