My Painful Poem..!!!
जिस तरफ़ देखिये तूफ़ान
नज़र आने लगें
शहर के शहर ही वीरान
नज़र आने लगें
ज़िंदा लोगोंके चेहरे मुर्दा
नज़र आने लगें
हर-सुँ ख़ौफ़-ओ-मातम
नज़र आने लगें
साँसों के साये ही जैसे दूर
जहाँ से जाने लगें
कौन किसे कैसे सहारा दे
कँधे ही तूट जानें लगें
आशा-निराशा सब बेसब्र
बेजान नज़र आने लगें
बूझते चिराग़ों की लो तेज़
हो के बूज़ जाने लगें
प्रभुजी कहाँ ख़त्म होगी ये
नाराज़गी प्रभु ही जानें
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