My Sorrowful Poem...!!!
आज सफ़र का पता नहीं
यारों मंज़िल अभी मिलीं नहीं
सहमीं-सहमीं-सी हर रुँह
कारवाँ मौतका रुकता ही नहीं
आज पाबंदी जीने की ज़रूरी
ओर हौसलों से कोई नाता नहीं
आज जिस्मों से दूरी ज़रूरी
रुँहो का सिलसिला ठहरता नहीं
कब कौन कैसे बिदा होगा
कुछ पता नहीं कुछ सुज़ता नहीं
मौत किस की दहलीज़ पर
दस्तक देंगी ये समज आता नहीं
क़िल्लत 🛌 बेड़ की आम
क़ब्रिस्तानों शमशानोंमें जगा नहीं
प्रभु कब तक आख़िर यही
निज़ाम चलेगा कुछ पता ही नहीं
माफ़ कर दो बख्श दो ख़ता
या रब अब तो क़बूल करो इल्तिजा
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