Hindi Quote in Poem by Arjun Allahabadi

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प्रेम मुझसे करते हो कह कर मुझे बहलाते हो तुम।
फिर गैरों के करीब जा कर मुझे क्यों जलाते हो तुम।

तुम मेरा पता भी जानते हो और मेरा मोहल्ला भी ।
फिर क्यों मेरे शहर आकर लौट जाते हो तुम।

कई दफ़े तुम्हारा इंतज़ार किया उसी चौराहे पर
जहाँ कभी पहले मुझे छोड़ कर जाते थे तुम।

एक उम्मीद जाग उठती है कि तुम आओगे
फिर मेरी देहरी पर आकर क्यों रुक जाते हो तुम।

तुम्हारे लिए पाबंदियां हमने कभी लगाई नहीं पर।
फिर करीब आकर क्यो खामोश हो जाते हो तुम।

सवाल तो बहुत उठते हैं मेरे जेहन में "अर्जुन" ।
मगर क्या कहें हर शै बदल जाते हो तुम।

-Arjun Allahabadi

Hindi Poem by Arjun Allahabadi : 111691355
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