आज पूछ लिया जिदंगी से कैसी चल रही है आजकल तुम्हारी लाइफ?
जवाब दिया दिन यु- ही ढल तो जाता है, शामे नहीं ढलती सुकून भरी,
ड़ायरी के पन्ने यु-ही पलट रहे है वजुद कही खो गया है।
दिन ढल रहे है वहि महामारी मे, अपनापन लोगो से कही छूट गया है? कैसा होगा अब आगे का जहा डर लगता है, कही धरती घूमना ना भूल जाए? वजूद के बिना हम लाखो के भीड़ में कही खो न जाए?