आज रंग दिया तुने मेरा अंग अंग;
अब तुं ही बता कैसे रहुं मैं अखंड;
तुम समजे खेली, आज मैंने होली,
मेरी तो हो गई है ये प्यारकी जंग;
तेरी नज़र से, झुम उठता रोम रोम,
झुम उठा मन जब लगा लाल रंग;
फागुनी महक से महका है जीवन,
तेरे साथ खुशनुमा हुआ यह प्रसंग;
आज हम खेलेंगे वृंदावन सी होली,
लगे जैसे राधा क्रिष्णा हो संग संग;
....✍️विनोद. मो.सोलंकी "विएम"
GETCO (GEB)