(मीरा भजन➖ ब्रह्मदत्त)
स्वामी सब संसार के,
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्री भगवान॥
स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान।
सबमें महिमा थांरी देखी कुदरत के कुरबान॥
बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान।
दो मुट्ठी तंदुलकी चाबी दीन्हयों द्रव्य महान।
भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान।
अर्जुन कुलका लोग निहार।ह्या छुट गया तीर कमान।
ना कोई मारे ना को मरतो तेरो यो अग्यान।
चेतन जीव तो अजर अमर है यो गीतारों ग्यान॥
मेरे पर प्रभु किरपा कीजौ बांदी अपणी जान।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल में ध्यान॥
➖ प्रस्तुतीकरण ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़