रास्ता मत रोको मुझे मेरी राह पर चलने दो।
बहुत टूटा हूँ अब संभलने दो।
मलाल ये नहीं कि लोग पहचानते नहीं।
साफ़ अक्स होगा ज़रा सूर्य निकलने दो।
तिमिर है तो क्या हुआ सितारे चमकेंगे जरूर।
अभी वक़्त है साहेब ज़रा चाँद तो निकलने दो।
हर घड़ी लोग बस यही कहते हैं आमीन आमीन।
कौन काफ़िर है कौन खुदा ज़रा पता तो चलने दो।
कहाँ लोग प्यासे को पानी देते हैं आज कल।
दरिया दिल सूख गए अब पत्थरों को पिघलने दो।
गंगा में डुबकी लगा कर पाप धोते हैं अपने।
कर्म ही पूजा है ,अब स्कूल में पढ़ने दो।
-Arjun Allahabadi