Hindi Quote in Poem by shekhar kharadi Idriya

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क्युकी मैं एक स्त्री हूँ..!

उगते सूरज की लाली हूँ
लहराते खेतों की क्यारी हूँ
ढलती संध्या की प्याली हूँ
बढ़ती रातों की रानी हूँ

क्युकी मैं एक स्त्री हूँ..!!

बदलते वक्त़ की कहानी हूँ
निस्वार्थ स्नेह की देवी हूँ
रिश्ते-नाते की प्रहरी हूँ
धधकते अंगारों की चिंगारी हूँ

क्युकी मैं एक स्त्री हूँ..!!!

-© शेखर खराड़ी (८/३/२०२१)

Hindi Poem by shekhar kharadi Idriya : 111672936
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