नारी प्रेम और समर्पण की वो प्रतिमूर्ति है जिसमें धैर्यता की कमी नहीं और लोग उसे सहनशीलता की मूरत समझकर आजमाते चले जाते हैं। जब टूटता है उसका धैर्य, लोग उसे घर परिवार तोड़ने के जिम्मेदार ठहराते हैं। मत कर खुद पर गुरुर ऐ मर्द, औरत बिन तेरा घर सुना है। अपनी हैसियत के अनुसार जो सुविधायें देता है तू उसको, अपने संस्कारों के दम पर सम्मान भी दिया कर, भरोसा कर उसपे।
Happy Women's Day