कुछ सपने पूरे हैं ,कुछ ख्वाब अधूरे से हैं ,
जिंदगी के इस सफर में हम खुद से ही कहीं गुमनाम से हैं।।
हर दिन एक नए सवेरे के इंतजार में हैं ,
हर शाम कुछ ख्वाबों को पूरा करने के चाहत में है।। ख्वाहिशों और हकीकत में उलझ से गए हैं,
कुछ ख्वाब मेरे ।।
अब ना है कहीं इनकी मंजिल,
और अब ना रह गई है इनकी पहचान कोई।।
-Shikha