राही
मैं राही इस दुनिया का
दुनिया को देख रहा हुँ
अपने हो या बेगाने हर रिश्ते को देख रहा हु
परिंदो सा मासूम और राक्षस सा हैवान देख रहा हुँ
मैं राही इस दुनिया का दुनिया को देख रहा हुँ
फकड़ सा जीवन मेरा फकड़ ही अंदाज हैं राह चलते को निचे गिरना यही दुनिया का रीवाज हैं
मैं राही इस दुनिया का
दुनिया को देख रहा हुँ l
✍️BD Vaishnav