आज मोरा....
नैना नीऽर बहाऽऽएऽ...श्याम....
दिन-पल तुम बिन,कुंंवर कन्हाई....
सोचत ही ढल जाए...श्याम....! नैना....
चढ़ि डाकन बनी,यह विष बेला....
तुम्हरे दरश को आतुर हो प्रितम....
जियरा मोरा घबराये...श्याम....!नैना....
कहाँ गई वो लकुटि कमरिया....
ढूँढ-फिरा न कोऊ छोड़ी डगरिया....
मन हायेऽऽ बड़ा भरमाए....श्याम...!नैना....
तुम संग मोरी प्रीत घनेरी....
सुन ओ गोपिन के मन भेरी....
कहीं स्वांस बिछुड़ न जाए....श्याम...!नैना....
-सनातनी_जितेंद्र मन