राधा जू के प्रीत तुम,मीरा के मनमीत तुम।
मेरे आधाऽर श्याऽम, जीवन संगीत तुम.. राधा
गोपिन के कांत तुम,गोऽप ऊऽल्लास तुम।
भक्तन के भक्ति का नवमां सोपान तुम..राधा
यशुदा दुलारे तुम,नन्द प्राण प्यारेऽऽ तुम।
गैय्यन के नाथ सखे,मेरे हर रीत तुम.. राधा
राधा नाम गुनगुनाऊं,मीरा के संगीत सुनाऊं।
बन बांवरा भटकूं दो,अर्जुन सन सीख तुम.. राधा
फिरता मारा-2 बन-2 में,बनकर के भ्रमर ढूँढू।
जीवन का गहन साऽर,प्यारे मधुमीत तुम.. राधा
जानूं ना ध्यान योग,पूजा-पाठ व्रत-प्रयोग।
लागा मेरे मन को जो,प्यारे वो रोग तुम.. राधा
जग रंग में रंगा हूँ,इनसों बचाओ नाऽऽथ।
अपने रंग में रंग लो,प्रितम रंगरेज तुम.. राधा
घूमा दर-दर अनेक,हुआ न मेरा कोई एक।
दास इस अनाथ के,एक ही सनाथ तुम.. राधा
_सनातनी_जितेंद्र मन